कहते है - "जूनून आशिक में हो तो आशिकी नाकाम नहीं जाती, राही को चलने का जूनून हो तो मंजिल कही खो नहीं जाती ....... जूनून तो नाम हे उस तलवार का जिसके आंगे कोई भी धार काम नहीं आती "
दोस्तों हर इंसान के अन्दर एक जज्बा होता है , एक अंदरूनी ताकत होती है , जिसे कई बार आप सब ने महसूस किया होगा ....... !
कभी कभी ऐसा भी होता है , किसी काम को लेकर हम बोहोत परेशां हो जाते है हमें लगता है की अब ये मुझसे नहीं हो पायेगा या में इसे पूरा नहीं कर सकता ऒर न चाहते हुए भी आप उस काम को छोड़ देते है या फिर बंद कर देते है ! ..........लेकिन क्या आपने काम की शुरुआत में ऐसा सोचा था की आप उसे बीच में ही छोड़ देंगे ?
नहीं ऐसा कोई भी इंसान नहीं सोचता की जो काम वो शुरू करने जा रहा है उसे बीच में छोड़ेगा ......!
जब हम कोई भी काम शुरू करते है , तो हमारे अन्दर से एक आवाज़ आती है की हा में इसे पूरा कर सकता हु और में करके दिखाऊंगा ! जेसे जेसे काम बढ़ता जाता है, अब वो बोझ लगने लगता है , आप के मन में अजीब से ख्याल , सवाल आते है की ये काम मेने शुरू ही क्यों किया जब ये मेरे बस का ही नहीं था तो क्यों मेंने इसमें अपना दिमाग ख़राब किया ......!!
और अगर कोई आपसे उसी काम की थोड़ी सी बुराई करदे तो वो आप को वो एक दम अपना लगने लगता है और आप उस काम को छोड़ने का फेसला लेते है ..लेकिन जो आपके अन्दर से आवाज़ आती है उसे नहीं सुनते ....
दोस्तों हमारी सोच हमें वो मक़ाम दिला सकती है जिसे हम हासिल करना चाहते है , हमें अपनी सोच को मजबूत करना चाहिए , आपने जो सोचा है उस पर आपको अडिक रहना चाहिए , यदी आपने सोच् लिया की ये काम बोहोत सरल है तो हा ऐसा होता है की आप उसे बोहोत सरलता से पूरा कर देते है ....बस अन्दर जो जूनून छिपा होता है उसे पहचानने की जरूरत होती है ....अगर आप पूरे जूनून के साथ कोई भी काम करे तो वो जरूर पूरा होता है !!
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